Thursday, August 28, 2008

उंगली गुरू...


मेहरबान कदरदान....
सुनाते हैं, बताते हैं
हम फरमाते हैं, दास्तान
उंगली गुरू की।

डुगडुगी की थाप के साथ
वो बजाते हैं , खबरो को
लब्बो लुआब के साथ
फरमाते हैं, खबरों को
लेकिन हर खबर पर,
हर बात पर,
उंगली जरूर करते है
उंगली गुरू।

पांव टिकते नहीं हैं तुम्हारें सनम
...........में।
की तर्ज पर,
सुबह- ए- शाम मनाते हैं
दुनिया की ऐसी तैसी.....
वाला गाना भी गुनगुनाते हैं
आओ खेले नौकरी नौकरी
वाला रियलटी शो भी वो चलाते हैं
लेकिन बड़ी बातो पर ही वो उंगली उठाते हैं
उंगली गुरू।

गुगल, गुगली और उंगली
हमारे उंगली गुरू के अस्त्र शस्त्र हैं
लेकिन जिसमें दम होता है.


उंगली वही कर सकता है
हमारे उंगली गुरू में भी
वो दम है, उनके आगे सब कम हैं।
उंगली गुरू की जय हो।
नोट- उंगली गुरू कही भी पाए जा सकते हैं,
जरूरत है आपकी पारखी नजर की।

Thursday, August 21, 2008

हथेली पर.....



तमाम टेढ़ी मेढ़ी लकीरे हैं हथेली पर.......
भविष्य को बनाती बिगाड़ती
किसी की किस्मत......
किसी का लिखा है लकीरों पर नाम.....
जो इश्क को परवाज देती हैं।
उनके हाथों में हैं मुरझायें फूल
किसी के इंतजार में..........
मुकाम की आस में दम तोड़ते

तेरी हथेली पर मेरा हाथ
गर्म सांसे.........
मोहताज चंद लम्हें की जो हमारे हो
बाजार की भीड़ में.......।

हथेली पर उगाते सपनों के फूल
इस आस में की उस पर भी आयेंगे सुगंधित फूल
सब कुछ भ्रम सा........
उलझती जिंदगी सा.....
सुलझते सवालों सा....
सब कुछ दिखता है हथेली पर..
क्या है ऐसा सब कुछ।

सचमुच हथेली पर लट्टू सी नाचती जिंदगी