Monday, September 17, 2007

बोल- बचन

हर सवाल का जवाब होता है, बोल-बचन के पास
और हर जवाब गलत होता है, बोल-बचन का
अगर आप यकीन कर ले उनकी बात पर,
तो आपकी नईंया कभी कभी भी पार नही हो सकती।
अभी कल की बात है
मैंने बोल-बचन से बताया था कि मेरे एक खास दोस्त की बीवी अस्पताल में भर्ती है
सीरियस है, उसे कल पांच बॉटल खून की जरुरत है, कुछ इंतजाम करो
बोल बचन ने तीन बॉटल खून दिलाने का वादा कर दिया था,
मैंने भी अपने दोस्त को बेफिक्र कर दिया था।
दूसरे दिन जब बोल बचन को फोन पे फोन किया तो शाम तक उनका फोन नही मिला
शाम को जब मिला तो मैंने खून वाली बात की, तो बोल बचन ने कहां अरे मैं तो भूल ही गया था
उन्होंने कहां मैं अभी कुछ इंतजाम कर रहा हूं.....
मैंने उन्हें बताया रहने दो पेंसेंट मर चुका है,खून न मिलने कि वजह से।
उस समय बोल बचन थोड़ा गंभीर हो गये थे।
हर ऑफिस में कई बोल बचन होते हैं
जिनके भरोसे पर ही ऑफिस में कभी कभी बवाल होता रहता है
बोल बचन के भरोसे कई लोग अपने बॉस को तमाम आश्वासन दे देते हैं
और बोल बचन अपने वसूल पर कायम रहते हैं
काम समय से नही होता और फिर डांट मिलना वाजिब है।
बोलो बोल- बचन की जय...........

Tuesday, September 11, 2007

कमबख्त मेरी जिंदगी

नींद कम नही होती, आदत से ज्यादा सोने के बाद भी।
सालों बीत गये, न तो सूरज उगते देखा और न ही डूबते हुए
अक्सर तस्वीरें देखता हूं, सन राइज...सन सेट।
मेरे घर के दरवाजें रातभर खुले रहते हैं
बिना किसी डर के मेरे इंतजार में।
जब घर के लोग सो जा जाते हैं तब मैं दबे पांव घर में घुसता हूं
जब घर के लोग अपने कामों पर चले जाते हैं तब मैं सुबह की चाय पीता हूं
जिंदगी का हर पल, कमबख्त हो गया है।
हर पल हमारी नजर दुनिया की तमाम खबरों पर होती है
एक भी खबर छूटने पर नौकरी तक जा सकती है
लेकिन मेरे पिता जी बीमार हैं ये बात मुझे चार दिन बाद पता चली
कमबख्त मैं, कमबख्त मेरी जिंदगी।