Monday, July 30, 2007

इंटर्न.......

उसने जर्नलिस्ट बनने की पढ़ाई की थी....
एक तेज तर्रार जर्नलिस्ट.............
साल भर सिर खपाने के बाद
पत्रकारों के दायित्व की ढेर सारी बातें जेहन में पाल कर
वो एक न्यूज चैनल में इंटर्नशिप करने आई थी
देखने में भी वो सुन्दर थी.......एंकर माफिक
पहला दिन था, खबरों के घर में
कई नजरें कनखियों से तो कई नजरें उसको ताक रही थी
कुछ घूर भी रही थी.....
लेकिन वो सोच रही थी, इन लोगो ने तो मुझे पहले देखा भी नही..
तो फिर इतने ध्यान से मुझे क्यों देख रहे हैं
कुछ लोग उसके बारे में बात भी कर रहे थे
उसने सुना था, कोई कह रहा था लखनऊ से आई है....नवाबों के शहर से
वो कहने का मतलब समझ रही थी....
थोड़ा वो सकुचा गई थी....
एक हफ्ते बीत चुके तो
अब वो असल की खबर और खबरिया लोगो से थोड़ा मिल जुल गई थी...
लोग पास के चौराहे पर उसे चाय भी पिलाने ले जाने लगे
पद्रह दिन बाद......ऑफिस में उसी की चर्चा थी
जो भी उसके साथ चाय पी कर आता था
चार लोगो से बताता था
अब वो देर रात तक ऑफिस में रुकने लगी थी
इंटर्नशिप खत्म होने के दो चार दिन पहले मैंने देखा था
वो एक मोस्ट सीनियर, बॉस टाइप आदमी के साथ सुट्टा मार रही थी....
शायद उसकी............???

Wednesday, July 25, 2007

छोटा सा LOVE....

उसने उसको एक टीवी सीरियल में देखा था
फिर उसने उस कलाकार को एक खत लिखा....
तुम मुझे बहुत प्यारे लगते हो।
I LOVE YOU....
I LOVE YOU....
I LOVE YOU...
मैं बहुत अच्छी लगती हूं...मेरी मां बोलती है
मैं तुम्हें कैसी लगती हूं...
मैं भी पागल हूं तुमने तो मुझे देखा ही नही
चैनल वालों से कई बार मैंने तुम्हारा फोन नंबर मांगा..
उन्होंने दिया ही नही, बहुत गंदे होते हैं टीवी चैनल वाले।
चैनल वाले बोलते हैं, तुम नहा रहे हो, तुम खेलने गये हो
मैं जानती हूं कि वो लोग मुझसे झूठ बोलते है,
लेकिन मैं कोशिश करती रहती हूं की शायद कभी कोई तुम्हारा फोन नंबर दे दे।
फिर मैं अपना नाम तुम्हारें जुबान से सुनूं।
मेरा नाम मिनी है मैं क्लास 6 में पढ़ती हूं।
अच्छा अब मैं लिखना बंद कर रही हूं, शायद मम्मी आ रही है....

Tuesday, July 24, 2007

मां की चिट्ठी.....

मां की चिट्ठी आई है..
साल भर से ज्यादा हो गये
तुम घर नही आये।

पिछले साल दीवाली पर जो लड्डू बनाये थे
तुम्हारें हिस्से के, अभी तक रखे हैं।
घर की, गांव की वो सारे किस्से भी रखे है
जो तुम्हें सुनाने के लिए रखे हैं. पर तुम आये ही नही

तुम्हारे पिता जी रोज मुझे समझाते हैं, बताते हैं कि
तुम बहुत बिजी रहते हो...पता नहीं..
उनसे चुरा कर तुम्हें लिख रही हूं...
बेटा समय निकाल के आ जाओ
तुम्हारी मां अब बूढ़ी हो चुकी है
जाने कब मर जाए...
सांसे हुई पराई हैं....

मेरी छोड़ो, तुम कैसे हो, खाना समय से खाते हो
स्वास्थय पे ध्यान देना।
अब नहीं लिखूंगी, आंखे मेरी भर आई हैं...
मां की चिट्ठी आई है.....

Saturday, July 14, 2007

आई- टॉनिक

1-ऑफिस के किसी कोने में बैठकर
चुपके चुपके से इस टॉनिक का सेवन करते लोगो को आप अक्सर देंख सकते हैं।
2-अक्सर बॉस टाइप लोग चलते फिरते इस टॉनिक का सेवन कर लेते हैं।
3-1-2 के बीच का समय यानि लंच के टाइम लोग अक्सर खाना खाने के बजाय इसी टॉनिक का सेवन करके तरो-ताजा महसूस करते हैं।
4-गाड़ी चलाते चलाते भी अक्सर इस टॉनिक का सेवन किया जा सकता है। इसी के चक्कर में अक्सर एक्सीडेंट भी हो जाता है। कुछ पाने के लिए कुछ खोना तो पड़ता ही है।
5-अक्सर बस पर लोग इसी लिए यात्रा करते हैं। वहां पर इस टॉनिक को लेने के साथ वो महसूस भी करते हैं।
6-बस अड्डे पर ये टॉनिक और सामानों के साथ खूब मिलता है।
नोट- अब तो आप समझ ही गये होगे कि ये और कहां कहां मिलता होगा। लो भईयां फ्री में ही तो मिलता है लेकिन संभल के।

Thursday, July 12, 2007

ऑरकुट पे बॉस....

बॉस ऑरकुट पर हैं
इस खबर ने लोगों की नींद उड़ा दी है
ऑफिस के लोग सदमें में हैं
डर ऐसा जैसे....
बॉस ऑफिस के साथ-साथ अब
बेडरुम में भी झांक रहें हैं।
लोगों ने अपने बहुत से स्क्रेप की लाइनें
जो बड़ी हिम्मत के बाद लिखी थी जिसमें
बॉस शब्द का इस्तेमाल किया था मिटाना शुरु कर दिया है।
लेकिन डर ये जरुर है कि शायद...
बॉस ने वो सब कुछ पढ़ लिया है जो
बॉस की नजरों तक नही जाना चाहिए था।
जिन लोगो ने आज तक केवल ऑरकुट पर हाल खबर ली थी
उन लोगों ने फोन करके बताया है...
बॉश ऑरकुट पर हैं!
खबर आई है बॉस खुश हैं

Tuesday, July 10, 2007

चौकें मत............

ऑपरेशन कामसूत्र
पानी में सुहागरात
एड्स पीड़ित महिला से सामूहिक बलात्कार
टाइम पास आशिक
मस्जिद में बलात्कार
भगवान हुए शर्मसार
खाक हुआ बाजार एक्सक्लूसिव
लाइव आत्म हत्या
तीन साल का मुजरिम
करोड़पति भिखारी
चौकें मत जनाब.....ये खबरें हैं

Tuesday, July 3, 2007

बारिश-1

बादलों की गड़गड़ाहट के साथ
मानसून की धमक
धमक उन दिलों पर
जो देख चुके हैं
बारिश में बहती
अपनी गृहस्थी
जिसे जोड़ा था
घर में कितनी पंचायत के बाद
जिसके लिए उसने
छानमारी थी
बाजार की हर दुकान
जांच परख के
खरीदा था हर सामान
और अब फिर वो डर रही है
देख रही मानसून की शुरुआत के साथ
पानी की हर बूंद में
बहती अपनी गृहस्थी।