Saturday, April 28, 2007

खुदा

रास्ते में आज पड़े थे भगवान
कुछ मैले थे कुचैले थे,
पैरों के उन पर दिख रहे थे निशान
हाय कैसे हैं ये लोग,
जो अपने घरों में टांगते हैं
भगवान की तस्वीर
करते हैं पूजा, जलाते हैं सुगंधित अगरबत्तियां
और जब करते हैं घर की सफाई
तो सड़क पर फेंके जाते हैं भगवान
फिर पैरों से कुचले जाते हैं भगवान।
... पुरकैफ

धड़कनें-1

धड़कनों के लिए गीत गाता हूं मैं
धड़कनें गीत बन जाएं तो क्या करुं।

हैं जवानी के दिन दिल में तूफान है
गीत खुद गुनगुनाएं तो मैं क्या करुं।

उनकी भी ख्वाहिशें अब जवां हो रही
हुस्न खुद अब बुलाये तो मैं क्या करुं।

मन की अपनी उड़ानें नहीं थम रही
कोई आंचल उड़ाये तो मैं क्या करुं।

हर कदम पर मेरे हुस्न की आग है
खुद ब खुद पांव जल जाए तो क्या करुं।

... पुरकैफ

Friday, April 13, 2007

ऐ लड़कियों...

ऐ लड़कियों....
फतवा जारी होगा अब तुम्हारी सूरत पर, सीरत पर
हर कदम उठाने होगें तुम्हें पोर की गिनतियों पर
बोलने से पहले सोचना होगा
सोचने से पहले लेनी होगी इजाजत
समाज के ठेकेदारों से
सड़क के पहरेदारों से
क्योंकि वो चाहते हैं
तुम रहो घूंघट में
तुम रहो बुडके में
तुम काम करो सिर्फ पर्दे के पीछे
तुम काम करो करो सिर्फ बिस्तर के नीचे।

..पुरकैफ